अवदत् अनीता

अनीता सैनी

Wednesday, 1 June 2022

दंड

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                                           भू कंप  झटकों के साथ, बर्तनों की आवाज़ और एक स्वर कौंधता है। ” निर्भाग है तू !  यह देख,  तेरा श्र...
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Wednesday, 18 May 2022

पत्थरों की पीड़ा

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"तो गड़े ! रिश्तों से उबकाई क्यों आती है? ” पलकों पर पड़े बोझ को वितान तोगड़े से बाँटना चाहता है। "श्रीमान! सभी अपनी-अपनी इच्छाओं की ...
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Monday, 2 May 2022

मौन गौरैया

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              कॉ रिडोर में कबूतर का धरने पर बैठना। जाने पहचाने स्वर में गुटर-गूँ गुटर-गूँ करते हुए कहना ।  "हाँ, वही हूँ मैं।"  र...
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Wednesday, 27 April 2022

मोजड़ी

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                   " माँ! बहुत चुभती हैं मोजड़ी।”  रुआँसा चेहरा लिए, पारुल ने अपना दिल माँ की गोद में रखा। इसी उम्मीद में कि माँ उसे स...
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Saturday, 23 April 2022

धरा की अंबर से प्रीत

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                "ज लती थी  देह! अंबर ने छिटकी थी प्रेम की बूँदें!" भावशून्य निगाहों से धरा, निशा को एक टक निहारती है।निशा सन्नाटे ...
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Wednesday, 13 April 2022

स्वाभिमान का टूटता दरख़्त

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                                   ”मौत कभी पृष्ठभूमि बनाकर नहीं आती,दबे पाँव कहीं भी चली आती है।” कहते हुए सुखवीर उठकर बैठ जाता है। ”खाली ...
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Sunday, 3 April 2022

पेैबंद लगा पुरुष-हृदय

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                    अहं   में लिप्त पुरुष-हृदय करवट बदलता, स्त्री-हृदय को अपने प्रभुत्त्व का पाठ पढ़ाते हुए कहता है- " काल के पैरों की आ...
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Monday, 28 March 2022

परिवर्तन

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                  ” न  री ! पाप के पैरों घुँघरु न बाँध; तेरे कलेजे पर ज़िंदा नाचेगा ज़िंदगी भर।” बुलिया काकी का अंतरमन उसे कचोटता है। हाथों म...
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Monday, 21 March 2022

बुधिया

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                     ”हाथ बढ़ाओ…अपना अपना हाथ बढ़ाओ …हाथ…!” सत्तासीन दोनों हाथ झुकाए, नीचे खड़े व्यक्तियों के हाथ थामता और उन्हें खींचकर शिखर...
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Tuesday, 15 March 2022

मैं हूँ

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                        ”ई मेल   चैक  क रते रहना,एहसास करवाता रहूँगा; मैं हूँ।” इस बार प्रदीप के शब्दों में जोश नहीं, प्रेम था। प्रेम जो सां...
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अनीता सैनी
मैं एक ब्लॉगर हूँ, स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हूँ, प्रकृति के निकट स्वयं को पाकर रचनाएँ लिखती हूँ, कविता भाव जगाएँ तो सार्थक है, अन्यथा कविता अपना मर्म तलाशती है |
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