अवदत् अनीता

अनीता सैनी

Monday, 1 May 2023

सीक्रेट फ़ाइल

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         प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका 'लघुकथा डॉट कॉम' में मेरी लघुकथा 'सीक्रेट फ़ाइल' प्रकाशित हुई है। पत्रिका के संपादक-मंड...
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Saturday, 1 April 2023

विसर्जन

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                   ”ग णगौर विसर्जन इसी बावड़ी में करती थीं गाँव की छोरियाँ।”   बुआ काई लगी मुंडेर पर हाथ फेरती हुई उस पर बचपन की स्मृतियाँ ढू...
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Saturday, 14 January 2023

स्वप्न नहीं! भविष्य था

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                       स्वप्न नहीं! भविष्य वर्तमान की आँखों में तैर रहा था और चाँद  दौड़ रहा था।  ”हाँ! चाँद इधर-उधर दौड़ ही रहा था!! तारे ठह...
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Wednesday, 28 December 2022

बोझ

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                                ”पि छले दो वर्ष से कंधों पर ढो रहा है, अब और कितना ढोएगा इसे?” उसकी माँ ने रुँधे गले से कहा। उसके घर के बाहर...
Saturday, 24 December 2022

डर

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                                                जब से  सुगणी गाँव से शहर आई थी। घर की दहलीज पर खड़ी रहती। आते-जाते लोगों को देखती और देखती ही...
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Thursday, 8 December 2022

मुखरित मौन

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                                               "काल के क़दमों की आहट हूँ मैं! मेरा प्रभुत्व समय की परतों पर लिखा है।”  चट्टानों पर अपने...
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Thursday, 1 December 2022

दर्द का कुआँ

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                                                 वह साँझ ढलते ही कान चौखट पर टांग दिया करती और सीपी से समंदर का स्वर सुनने को व्याकुल धड़कनो...
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Thursday, 17 November 2022

भूख

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                    बा रह महीनों वह काम पर जाता। रोज़ सुबह कुल्हाड़ी, दरांती कभी खुरपा-खुरपी तो कभी फावड़ा, कुदाल और कभी छोटी बाल्टी के साथ रस...
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Wednesday, 2 November 2022

वीरानियों के सुर

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            चि त्तौड़ दुर्ग में विजय स्तंभ के पास घूमते हुए वह रानी पद्मिनी-सी लग रही थी। शादी के चूड़े को निहारती बलाएँ ले रही थी अपने ख़ुशहाल...
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Saturday, 1 October 2022

लकीरें

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                            " का मवालियों के हाथों में लकीरें नहीं होतीं!” एक ने अपने मेहँदी रचे हाथ दिखाए। उसने पीछे मुड़कर उसको जाते ह...
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अनीता सैनी
मैं एक ब्लॉगर हूँ, स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हूँ, प्रकृति के निकट स्वयं को पाकर रचनाएँ लिखती हूँ, कविता भाव जगाएँ तो सार्थक है, अन्यथा कविता अपना मर्म तलाशती है |
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