Sunday 15 August 2021

देशभक्ति एक रंग है



                  ”आज जवान के सीने पर एक और मैडल।” मूँछ पर ताव देते हुए रितेश ने अपनी पत्नी प्रिया से फोन पर कहा।

”बधाई हो...।”

प्रिया ख़ुशी और बेचैनी के तराज़ू में तुलते हुए स्वयं को खोज रही थी कि वह कौनसे तराज़ू में है ?

”अरे! हम तो हम हैं, हम थोड़े किसी कम हैं।”

अपनी ही पीठ थपथपाते हुए घर परिवार की औपचारिकता से परे ख़ुशियों की नौका पर सवार था रितेश।

”मन घबराता है तुम्हारे इस जुनून ...।”

प्रिया ने अपने ही शब्दों को तोड़ते हुए चुप्पी साध ली।

” मूँग का हलवा ज़रुर बनाना और हाँ! भगवान को भोग लगाना मत भूलना, तुम्हारा उनसे फ़ासला कम हो जाएगा।”

प्रिया के शब्दों को अनसुना कहते हुए अपनी ही दुनिया में मग्न रितेश जोर का ठहाका लगाया।प्रिया ने रितेश को इतना ख़ुश कभी नहीं देखा।

एक सेकंड के लिए प्रिया को लगा, कैसे नज़र उतारुँ रितेश की कहीं मेरी ही नज़र न लग जाए इसे।

”ससुराल बदलना पड़ेगा, कुछ दिनों की ब्रेक जर्नी मिलेगी; पूछना मत कहाँ जा रहे हो? मैं नहीं बताऊँगा।”

रिश्तों के मोह से परे रितेश अपनी ही दुनिया में मुग्ध था। ग़ुस्सा कहे या प्रेम प्रिया के हाथों फोन कट जाता है।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

Saturday 7 August 2021

लोरी

           ”माँ बचपन में सुनाया करती थी वह लोरी सुनाओ ना।”

नंदनी ने अपनी माँ की गोद में सर रखते हुए कहा।

”मन बेचैन है लाडो?”

उसकी माँ ने स्नेह से पूछा।

”नहीं  ऐसा कुछ नहीं है।”

नंदनी ने अपनी माँ का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा।

”कुछ तुम्हारे ससुराल कुछ जवाई जी की भी कहो।”

नंदनी की माँ ने उसका सर सहलाते कहा।

”माँ लोरी सुना न।”

अनसुना करते हुए नंदनी छोटी बच्ची की तरह इठलाई।

” अच्छा सुन...। "

”ओढ़नी की बूँदी,लहरिए री लहर,बिंदी री चमक,पायल री खनक,मेरे पोमचे रो गोटो तू

 मान-सम्मान-स्वाभिमान है तू।”

उसकी माँ ने पोमचे के पल्लू से बेटी नंदनी का मुख ढकते हुए कहा।

पहले सावन मायके नंदनी अनेक उलझनों के साथ आई थी।

”माँ...।”

और नंदनी मौन हो गई।

” हूँ ...बोल! न लाडो।”

नंदनी की माँ ने उसके मुख से पल्लू हटाया।

”मैं तुम्हारे सर का ताज हूँ यह नहीं कहा। ब्याह के बाद बेटियाँ पराई हो जाती हैं?”

 नंदनी ने अपने आकुल मन को सुलाते हुए पूछा।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'