tag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post5854314063716158574..comments2023-09-25T18:15:11.218+05:30Comments on अवदत् अनीता : डर अनीता सैनी http://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-42037625392267057282022-12-25T16:22:36.197+05:302022-12-25T16:22:36.197+05:30मुझे देखने ही कब दिया? पहले मेरी माँ! फिर इसकी माँ...मुझे देखने ही कब दिया? पहले मेरी माँ! फिर इसकी माँ!! अब यह खुद!!!"<br /><br />आँखें होकर भगवान अंध सी जिंदगी ।<br /><br />मेरी आँखों को जो जँचता है वह मेरे आदमी को नहीं जँचता।”<br />बस आदमी को जँचना चाहिए <br />यही तो विडंबना है ।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-88892377048365756382022-12-25T12:25:26.327+05:302022-12-25T12:25:26.327+05:30एक स्त्री की मनोदशा को दर्शाती , सोचने पर मजबूर कर...एक स्त्री की मनोदशा को दर्शाती , सोचने पर मजबूर करती लघुकथा । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com