tag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post5718281634691583546..comments2023-09-25T18:15:11.218+05:30Comments on अवदत् अनीता : अतिथि देवो भव: अनीता सैनी http://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-56894543363223911312020-03-25T06:55:01.358+05:302020-03-25T06:55:01.358+05:30बहुत सुन्दर।
घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
कोरोना स...बहुत सुन्दर।<br />घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें। <br />कोरोना से बचें।<br />भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-58046826891988124432020-03-04T16:29:59.663+05:302020-03-04T16:29:59.663+05:30तुम थकते नहीं हो झूठ का स्वाँग गढ़ते हुए, क्यों कर...तुम थकते नहीं हो झूठ का स्वाँग गढ़ते हुए, क्यों करते हो दिखावे का ढकोसला?"<br />इसी में दिन कटते हैं और एक दिन देखो तो वहीँ खड़े मिलते हैं <br />आजकल ऐसा ही कुछ ज्यादा ही चल रहा है <br />बहुत अच्छी प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-13366591064256118472020-02-27T01:10:51.283+05:302020-02-27T01:10:51.283+05:30अतिथि देवो भव... विचार हमारी संस्कृति की विशेषता ह...अतिथि देवो भव... विचार हमारी संस्कृति की विशेषता है. भारतीय मनीषा ने अपने विराट विचार से दुनिया को प्रभावित किया है. अतिथि के प्रति सत्कार भाव हो या उदार भाव हम हमेशा उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल करते रहे हैं.<br />भारत ने दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत करते-करते देश की राजधानी में लाशों का ढेर लगने दिया। जिसने हमें विकाशशील देश की श्रेणी से पदोन्नत करते हुए विकसित देश घोषित करते हुए भारत को अधिक टैक्स चुकाने के लिये मज़बूर किया है ताकि अमेरिका के ख़ज़ाने में और वृद्धि होती रहे.<br />एक चालाक व्यापारी से उदार भारत कैसे निबटता है यह तो समय बताएगा किंतु आपकी यह व्यंगात्मक लघुकथा वर्तमान संदर्भों को बख़ूबी अप्रत्यक्ष रूप से समेटती है. भारत में करोड़ों लोग ख़ाली है एक विवादास्पद व्यक्तित्व के लिये पलक पाँवड़े बिछाने के लिये क्योंकि वह किसी का पसंदीदा यार है.<br />बहुत सरलता से यह लघुकथा बड़े लक्ष्य को साधती हुई व्यंग्य की शानदर धार पर मित्रता से जुड़े स्वार्थी रिश्तों को कसती हुई यथार्थ से रूबरू कराती है.<br />बधाई एवं शुभकामनाएँ.<br />लिखते रहिए.<br /><br />Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-15587300686075879792020-02-24T20:13:06.771+05:302020-02-24T20:13:06.771+05:30सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्च...सादर नमस्कार ,<br /><br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(18-02-2020 ) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> " अतिथि देवो भवः " (चर्चा अंक - 3622)</a> पर भी होगी<br /><br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का<br /><br />महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />आप भी सादर आमंत्रित हैं।<br />---<br />कामिनी सिन्हा<br /><br />Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-10467304872047623082020-02-23T17:36:09.430+05:302020-02-23T17:36:09.430+05:30वाह!सखी ,बेहतरीन ! दिखावा करने के चक्कर में खुद ही...वाह!सखी ,बेहतरीन ! दिखावा करने के चक्कर में खुद ही उलझ गए ।शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-29288477560158247532020-02-23T15:53:38.439+05:302020-02-23T15:53:38.439+05:30ये भी खूब रही ! इसीलिए हमारे पूर्वज कभी भी दिखावे ...ये भी खूब रही ! इसीलिए हमारे पूर्वज कभी भी दिखावे में विश्वास नहीं करते थे। Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-84192550609299920152020-02-23T12:40:25.749+05:302020-02-23T12:40:25.749+05:30दिखावा और आडंबर ले डूबा. सचमुच यही है आज की परिस्थ...दिखावा और आडंबर ले डूबा. सचमुच यही है आज की परिस्थिति. अच्छी लघुकथा ~Sudha Singh vyaghr~https://www.blogger.com/profile/13043026454798527340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4810328969987679043.post-48172447900212366492020-02-23T11:42:43.365+05:302020-02-23T11:42:43.365+05:30तू चिलम से हुक़्क़े पर आ गया, पहचान अपने आप को।
भौ...तू चिलम से हुक़्क़े पर आ गया, पहचान अपने आप को। <br /><br />भौतिकवाद ने इंसानियत को मार कर वस्तुओं को अहमियत देना सिख दिया है। <br />Gurminder Singhhttps://www.blogger.com/profile/13707851279688762620noreply@blogger.com