कहो न सब ठीक हो जाएगा !
मौसम अक्सर साँझ ढले ख़राब हो ही जाता है।
आँधी के साथ कुछ बूँदा-बाँदी होना स्वभाविक ही है। सामने पार्क में देखने से लग रहा था जैसे पेड़ टूटकर अभी गिरने ही वाले हैं।
तेज़ तूफ़ान के साथ बीच-बीच में किसी के चीख़ने-चिल्लाने की आवाज़ कानों में गूँज रही थी।
धड़कनें बढ़ने लगीं कि आख़िर हुआ क्या? क़दम ख़ुद-ब-ख़ुद उस दिशा की ओर बढ़ने लगे।
"मैंने थाली भी बजायी थी और दीपक भी जलाये थे।"
सुमित्रा आंटी मातम में डूबी यही रट लगाए जा रहीं थीं।
पड़ोस की कुछ औरतें उन्हें ढाढ़स बँधा रही थीं।
"सुमित्रा हिम्मत रख दुधमुँहे बच्चे हैं बहू के उनका तो विचार कर।"
पास ही बैठी एक औरत ने सुमित्रा काकी को कँधे का सहारा देते हुए कहा।
"कैसे सब्र करुँ? ये पिछले दो साल से घर बैठे हैं वह दो महीने घर नहीं बैठ पाया। घबरा क्यों गया माँ-बाप बोझ लगे उसे?"
सुमित्रा काकी के पति के दोनों पैर किसी हादसे में कट गए थे अब वह एक ही जगह बैठे रहतें हैं।
परंतु कौन नहीं टिक पाया, किसे बोझ लगे; यह नहीं समझ पायी।
"भाभी उन्होंने आत्महत्या कर ली! मैं क्या करु? कैसे लाऊँ उन्हें?"
पायल ने एकदम से पूजा को जकड़ लिया।
वह उसके सीने से लग सुबक-सुबक कर रोने लगी।
"एक बार कहो न भाभी सब ठीक हो जाएगा।
तुम्हारे शब्दों से हिम्मत मिलती है; बोलो न भाभी।"
पायल पूजा से बार-बार यही आग्रह कर रही थी।
गला रुँध गया,शब्द लड़खड़ा गए। बस आँखें बरस रहीं थीं।
कैसे कहूँ?
सब ठीक हो जाएगा!
©अनीता सैनी 'दीप्ति'
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 14 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर आभार आदरणीय सर पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु.
Deleteसादर
ओह बेहद मार्मिक लिखा अनु।
ReplyDeleteआत्मघाती परिस्थितियों के लिए उत्तरदायी कारणों का अन्वेषण और मंथन का संदेश देती लघुकथा।
सादर आभार श्वेता दीदी मनोबल बढ़ाती समीक्षा हेतु.
Deleteसादर
मार्मिक
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
Deleteसादर
बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन सखी ।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती समीक्षा हेतु.
Deleteसादर
अवसाद कोरोना से भी घातक बीमारी है। अवसाद से बचाएँ अपने को भी, अपनों को भी। यही महत्त्वपूर्ण संदेश देती हृदयस्पर्शी रचना।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय मीना दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
Deleteसादर
ओह ! हृदयविदारक कथा ! वर्तमान का कटु यथार्थ !" कैसे होगा सब ठीक "! यक्ष प्रश्न हो चुका है अब !
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
Deleteसादर
हृदयस्पर्शी रचना।
ReplyDeleteसच में कोरोना से भी घातक विमारी है अवसाद...
ReplyDeleteबहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन
आत्मघाती अपने साथ अपने पूरे परिवार की सुकून छीन लेता है।
बहुत मार्मिक कहानी
ReplyDeleteयथार्थवादी हृदयस्पर्शी मार्मिक सृजन।
ReplyDeleteकैसे होगा ठीक ? . बहुत मार्मिक । काश संभाल पाते वक़्त रहते ।
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